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Meri Zindagi ki Kahani

मैं एक बेरोजगार मकैनिकल इंजिनियर युवा हुं। बहुत सालों से नौकरी की तलाश में हू, लेकिन नौकरी है की जैसे मुझसे खफा हो। लेकिन मैं कभी हिम्मत नहीं हारा। रोज की तरह आज भी  सुबह-सुबह उठ कर एक नई आशा के साथ भगवान को याद करते हुए बस में बैठ गया। गांव से शहर जाने को पूरा एक घंटा लगता है, ठंडी हवा चेहरे पर पड़ी तो आंखें खुदवो-खुद बंद होने लगी। एक दो मिनिट की झपकी लगी, ध्यान नहीं रहा तो  मैं बस में लगा लता जी का गीत सुनने लगा। पता भी नहीं चला के कब बस अड्डा आ गया। आसमान में आज बहुत दिनों के बाद काले बादल देख दिल खुश हो गया। रिक्शा पकड़ा और रिक्शे वाले को कंपनी का पता बताया और फिर उस तरफ चल पड़े। 10-12 मिनिट में कंपनी के गेट पर पहुंच गया। देखा के सिर्फ, 3 सहायक इंजिनियर के पदों के लिए लगभग 1000 के आसपास लड़के आये हूए है तो दिल थोड़ा उदास हो गया। फिर भी कहीं न कहीं उम्मीद थी के मुझे  आज नोकरी मिल ही जायेगी। दोपहर  का 1 बज गया है, अभी तक भेंटवार्ता के लिए मेरी बारी नहीं आ रही। कुछ लड़के तो बिना भेंटवार्ता के ही वापिस घर को चले गए। मैं उम्मीद के सहारे अभी तक भी बैैैैठा हुआ हूं।